Description
“श्याम: उम्मीद और संघर्ष” एक ग्रामीण भारतीय परिवार की हृदयविदारक कहानी है। बद्रीनाथ और चाँदनीबाई अपने नौ बच्चों के साथ सैलाना गाँव में रहते थे। जहाँ वे सीमित संसाधनों के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करते थे। बेटे गणेश, शिव और महावीर शहरों में सफल रहे। जबकि हरि ओम ने माता-पिता और मानसिक रूप से अस्वस्थ भाई श्याम की गाँव में देखभाल की। माता-पिता और हरि ओम के निधन के बाद, श्याम अपनी भाभी सीता और भतीजे पीयूष पर निर्भर हो गया। आर्थिक तंगी के बावजूद सीता ने श्याम की देखभाल की। गणेश, शिव और महावीर ने श्याम को वृद्धाश्रम भेजने की योजना बनाई। हालाँकि, बहनों के पति, राम और सोहनलाल, छह महीने की बारी-बारी से उसकी देखभाल करने के लिए आगे आए। श्याम की बिगड़ती हालत को देखते हुए, राधा और राम ने उसे एक विशेष वृद्धाश्रम में रखने का कठिन निर्णय लिया। जहाँ सीता की गोद में उसने अंतिम साँस ली। श्याम की यात्रा पारिवारिक रिश्तों, त्याग और उपेक्षा को दर्शाती है। अंततः, भाइयों को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने श्याम और हरि ओम की स्मृति में सैलाना में एक धर्मार्थ केंद्र बनाने का संकल्प लिया।
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