Description
यह काव्य संग्रह स्त्री के रूप को समाज की नजरों में एक ऊंचा दर्जा प्रदान करता हैं , जो लोग स्त्री के उपकार को नहीं मानते या फिर समझते हैं की उनका काम सिर्फ रोटी बनाना हैं , और यह काव्य संग्रह स्त्री के कभी ना समाप्त होने वाले प्रेम को भी दर्शाता हैं । और समाज में स्त्री के गौरव को ओर ऊपर ले जाता हैं ।
स्त्री हर परिस्थिति में अपने रूप को और अपनी अहमियत को हर दशा में बदती हैं । चाहे वह ग्रह कार्य हो या फिर कोई महतबपूर्ण आयोजन स्त्री का हर कार्य में अहम भूमिका होती हैं । जो उन्हें बांकी सभी लोगों से भिन्न बनाती हैं । स्त्री अगर सही दिशा दे तो एक उस समाज का निर्माण हो सकता हैं , जिसमे प्रेम तथा दूसरों के लिए आदर सम्मान हों ।
स्त्री हर प्रकार से राष्ट्रनिर्माता और प्रथम गुरु होती हैं जो अपने बच्चों को बचपन से ही अच्छी शिक्षा प्रदान करती हैं।
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