Description
ये पुस्तक “दिल बेचारा समझ ना पाया” में ह्रदय विदारक के साथ अपने रिश्तों से मिलावट शब्द लिखा गया है, जिसे पढ़ने के बाद आपकी नैन तथा आपकी ह्रदय चीहक उठेगी, अलोक ने अपने कलम से प्रेम की रस छलकाते हुए कितने आशिकों का दर्द पिरो दिए है, ये पुस्तक वो अपने 4 वर्ष के तहत अपने दिल से लिखे है, वो अपने पुस्तक के माध्यम से सारे महफ़िल और समाज में प्रेम बटना चाहते है, इन्होंने ने कुछ शब्द मां के बारे में भी कहा है अर्थात कुछ शब्द हमारे प्रकृति पे भी लिखा है,
Author details:
मैं “अलोक कुमार” बिहार के मोतिहारी जिले के एक छोटे से गांव में रहता हूं, मुझे बचपन से कुछ न कुछ लिखने का सोख था, और मैं लिखता भी था, जब मैं विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करता था,तो मेरे विद्यालय में जब कोई भी कार्य क्रम होता था तो मैं उद्घोषक के रूप में मुझे चैन किया जाता था तब मैं कुछ कविता या शायरी बोला करता था, तब मेरे मित्र और शिक्षक प्रोसाहित किए, तब से में कुछ न कुछ लिखता रहता हूं, मेरा पहला पुस्तक “दिल बेचारा समझ ना पाया” हैं।
लोग कहते है की लड़के रोते नहीं मैं भी किसी के लिए रोया करता था वो छोड़ कर चली गई तो क्या हुआ मैं अब लिख कर जीता हूं।।
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